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Wednesday, February 2, 2011

ऐ पतंग !!

ऐ पतंग उड़ जा तुझे सन्देश मेरा लेकर जाना हँ,
सात समंदर पार हँ कोई, इसे वहां तक पहुँचाना हँ
चाहे कितनी ही बाधाएं बीच राह मैं तुमको आयें,
चाहे कितने चक्रवात भी बीच राह मैं तुम्हे डराए
मत होना तुम विचलित तुमको आगे ही बढ़ते जाना हँ,
सात समंदर पार हँ कोई, इसे वहां तक पहुँचाना हँ
कहना उसे छोर दूजे पर, ऐसे कई लोग रहते हैं,
जो हर पल हर उत्सव के दिन, याद तुम्हें जी भर करते हैं
छत पर बैठ पतंग देखना, याद तुम्हें भी आता होगा,
अपनों संग त्यौहार मनाना, आज भी तुम्हें भाता होगा,
जाने किस दिन तुम नन्हे संग, देश अपने वापिस आओगी
और बैठ कर साथ हमारे, खीच लापसी तुम खाओगी
जब वो तुमको छू लेगी तब, मन खुशियों से भर जायेगा
और मेरा सन्देश मेरी उस अपनी को भी मिल जायेगा

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